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सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे - शब्द कीर्तन (Satguru Mere Kalam Hath Tere)
सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
हत्था ते लिख दे सेवा गुरा दी,
सेवा गुरा दी सेवा गुरा दी,
सेवा करदी कदे वी ना थका,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

पैरा च लिख दे सत्संग जाना,
सत्संग जाना सत्संग जाना,
सत्संग जांदी कदे वी ना थका,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

अखा च लिख दे दर्शन प्यारे,
दर्शन प्यारे दर्शन प्यारे,
दर्शन करदी कदे वी ना थका,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

स्वासा च लिख दे नाम गुरा दा,
नाम गुरा दा नाम गुरा दा,
नाम जपदी कदे वी ना थका,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,

सतगुरु मेरे कलम हाथ तेरे,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
मैं वारि मैं वारि वारि जावा,
के सोहने सोहने लेख लिख दे,
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मोहे लागी लगन गुरु चरणन की - भजन (Mohe Lagi Lagan Guru Charanan Ki)
श्लोक:
अखंड-मंडलाकारं
व्याप्तम येन चराचरम
तत्पदं दर्शितं येन
तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु,
गुरुर देवो महेश्वरः,
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा,
तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥

मोहे लागी लगन गुरु चरणन की,
गुरु चरणन की, गुरु चरणन की,
मोहे लागी लगन गुरु चरणन की ॥

चरण बिना मुझे कुछ नहीं भाये,
जग माया सब स्वपनन की,
मोहें लागी लगन गुरु चरणन की ॥

भव सागर सब सूख गए है,
फिकर नाही मोहे तरनन की,
मोहें लागी लगन गुरु चरणन की ॥

आत्म ज्ञान दियो मेरे सतगुरु,
पीड़ा मिटी भव मरनन की,
मोहें लागी लगन गुरु चरणन की ॥

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,
आस बंधी गुरु चरणन की,
मोहें लागी लगन गुरु चरणन की ॥

मोहें लागी लगन गुरु चरणन की,
गुरु चरणन की, गुरु चरणन की,
मोहे लागी लगन गुरु चरणन की ॥
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आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है - भजन (Aaj To Guruwar hai, Sadguru Ka War Hai)
आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥ 1 ॥
गुरुचरणों का ध्यान लगाओ, निर्मल मन हो जायेगा।
तन मन धन गुरु चरण चढ़ाकर, विनती बारंबार है ॥ 2 ॥

प्रभु को भूल गये औ प्यारे ! माया में लिपटाए हो।
पूर्व पुण्य से नर तन पाया, मिले न बारंबार है ॥ 3 ॥

गुरुभक्ति से प्रभु मिलेंगे, बिन गुरु गोता खायेगा।
भवसागर में डूबी नैया, सदगुरु तारणहार हैं ॥ 4 ॥

गुरु हमारे ज्ञान के दाता, भक्तों का कल्याण करो।
निर्मोही बलिहार है, अर्जी बारंबार है ॥ 5 ॥
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जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको - कबीर भजन (Jara Dhire Dhire Gadi Hanko)
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हलके गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हौले हौले गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ॥है जी गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,
पहिया है लाल गुलाल,
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,
पहिया है लाल गुलाल,
हाकण वाली छेल छबीली,
बैठण वालो राम,
रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ॥

है जी गाड़ी अटकी रेत में,
म्हारी मजल पड़ी है दूर,
गाड़ी अटकी रेत में,
मेरी मजल पड़ी है दूर,
धर्मी धर्मी पार उतर गया,
पापी चकना चूर,
रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ॥

है जी देस देस का वेद बुलाया,
लाया जड़ी और बूटी,
देस देस का वेद बुलाया,
लाया जड़ी और बूटी,
जड़ी बूटी तेरे काम ना आई,
जब राम के घर की टूटी,
धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ॥

है जी चार जणा मिल माथे उठायो,
बाँधी कांठ की घोड़ी,
चार जणा मिल माथे उठायो,
बाँधी कांठ की घोड़ी,
ले जाके मरघट पे रखदि,
फूंक दीन्ही जस होरी,
रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले। ॥

बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,
बिछड़ गई मेरी जोड़ी,
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,
बिछड़ गई मेरी जोड़ी,
कहे कबीर सुनो भई साधु,
जिन जोड़ी तीन तोड़ी,
रे भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ॥

जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हलके गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हौले हौले गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले। ॥
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चदरिया झीनी रे झीनी - भजन (Chadariya Jhini Re Jhini)

दोहा:

कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे हम रोये,
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे जग रोये।
चदरिया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥

अष्ट कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी,
नौ दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥

जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दिनी,
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥

चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दिनी,
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन दिन मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥

ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी,
शुकदेव ने निर्मल किनी,
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यो की त्यों धर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥

चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
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सत नाम का सुमिरन कर ले - भजन (Satt Nam Ka Sumiran Kar Le)
सत नाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होय,
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय,
काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।जेहि कारन तू जग में आया,
वो नाहीं तूने करम कमाया,
मन मैला का मैला तेरा,
काया मल मल धोये,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय,
काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

दो दिन का है रैन बसेरा,
कौन है मेरा कौन है तेरा,
हुवा सवेरा चले मुसाफिर,
अब क्या नयन भिगोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय,
काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

गुरू का शबद जगा ले मन में,
चौरासी से छूटे क्षण में,
ये तन बार बार नहीं पावै,
शुभ अवसर क्यों खोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय,
काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

ये दुनियाँ है एक तमाशा,
कर नहीं बंदे इसकी आशा,
कहै कबीर, सुनो भाई साधो,
सांई भजे सुख होय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।

जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय,
काहे बिरथा सोय,
सतनाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होए ।
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सुन लो चतुर सुजान, निगुरे नहीं रहना - भजन (Sunlo Chatur Sujan Nigure Nahi Rehna)
निगुरे नहीं रहना
सुन लो चतुर सुजान निगुरे नहीं रहना..निगुरे का नहीं कहीं ठिकाना चौरासी में आना जाना।
पड़े नरक की खान निगुरे नहीं रहना..

गुरु बिन माला क्या सटकावे मनवा चहुँ दिश फिरता जावे।
यम का बने मेहमान निगुरे नहीं रहना..
सुन लो..

हीरा जैसी सुंदर काया हरि भजन बिन जनम गँवाया।
कैसे हो कल्याण निगुरे नहीं रहना..
सुन लो..

निगुरा होता हिय का अंधा खूब करे संसार का धंधा।
क्यों करता अभिमान निगुरे नहीं रहना.
सुन लो..
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सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में - भजन (Sare Tirath Dham Apke Charno Me)
सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।
हृदय में माँ गौरी लक्ष्मी,
कंठ शारदा माता है ।
जो भी मुख से वचन कहें,
वो वचन सिद्ध हो जाता है ।
हैं गुरु ब्रह्मा, हैं गुरु विष्णु,
हैं शंकर भगवान आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।

जनम के दाता मात पिता हैं,
आप करम के दाता हैं ।
आप मिलाते हैं ईश्वर से,
आप ही भाग्य विधाता हैं ।
दुखिया मन को रोगी तन को,
मिलता है आराम आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।

निर्बल को बलवान बना दो,
मूर्ख को गुणवान प्रभु ।
देवकमल और वंसी को भी,
ज्ञान का दो वरदान गुरु ।
हे महा दानी हे महा ज्ञानी,
रहूँ मैं सुबहो-शाम आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।

कर्ता करे ना कर सके,
पर गुरु किए सब होये ।
सात द्वीप नौ खंड मे,
मेरे गुरु से बड़ा ना कोए ॥

सब धरती कागज़ करूँ,
लेखनी सब वनराय ।
समुद्र को स्याही,
पर गुरु गुण लिख्यो ना जाए ॥

सारे तीर्थ धाम आपके चरणो में ।
हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।
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क्या लेके आया जग में क्या लेके जाऐगा - भजन (Kya Leke Aaya Bande Kya Leke Jayega)
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
दोहा – आया है सो जाएगा,
राजा रंक फकीर,
कोई सिंहासन चढ़ चले,
कोई बंधे जंजीर।

क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥

ईस जगत सराऐ में,
मुसाफीर रहना दो दिन का,
क्यों विर्था करे गुमान,
मुरख इस धन और जोबन का,
बंद मुट्ठी आया जग में,
खाली हाथ जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥

वो कहाँ गए बलवान,
तीन बार धरती तोलणियाँ,
ज्यारी एडी पड़ती धाक,
नाही कोई शामें बोलणियाँ,
निर्भय डोलणियाँ वे तो,
गया रे अकेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥

नहीं छोड़ सक्या कोई,
माया गिणी गिणाई ने,
गढ किला री निव छोड़ गया,
चिणी चिणाई ने,
चिणी रे चिणाई रह गई,
गया है अकेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥

ईस काया का है भाग्य,
भाग्य बिन पाया नहीं जाता,
कहे ‘शर्मा’ बिना नसिब,
तोड़ फल खाया नहीं जाता,
भवसागर से तर ले बन्दे,
हरी गुण गायले,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥

क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
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हर हाल में खुश रहना - भजन (Har Haal Me Khush Rehna)
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
महफ़िल में जुदा रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ॥सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
दोनों में मुस्कुराना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।

झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट में बच के रहना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।

मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
जीते जी मुक्त होना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।

दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
पर भिछु बन के हसना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
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जिसको नही है बोध, तो गुरु ज्ञान क्या करे - भजन (Jisko Nahi Hai Bodh Guru Gyan Kya Kare)

दोहा ॥
अर्घ कपाले झूलता,
सो दिन करले याद ।
जठरा सेती राखिया,
नाहि पुरुष कर बाद ॥
॥ तो गुरु ज्ञान क्या करे ॥
जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं,
तो पुराण क्या करे ।

घट घट में ब्रह्मज्योत का,
प्रकाश हो रहा ।
मिटा न द्वैतभाव तो,
फिर ध्यान क्या करे ।

जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं,
तो पुराण क्या करे ।

रचना प्रभू की देख के,
ज्ञानी बड़े बड़े ।
पावे ना कोई पार तो,
नादान क्या करे ।

जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं,
तो पुराण क्या करे ।

करके दया दयाल ने,
मानुष जन्म दिया ।
बंदा न करे भजन तो,
भगवान क्या करे ।

जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं,
तो पुराण क्या करे ।

सब जीव जंतुओं में ,
जिसे है नहीं दया ।
‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,
पुण्य दान क्या करे ।

जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे ।
निज रूप को जाना नहीं,
तो पुराण क्या करे ।
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गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना - भजन (Gurudev Daya Karke Mujhko Apna Lena)
मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना ।करूणानिधि नाम तेरा,
करुन दिखलाओ तुम,
सोये हुए भाग्यो को,
हे नाथ जगाओ तुम ।
मेरी नाव भवर डोले,
इसे पार लगा देना,
गुरुदेव दया करके,
मुझको अपना लेना ॥

जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा ।
जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा ॥

तुम सुख के सागर हो,
निर्धन के सहारे हो,
इस तन में समाये हो,
मुझे प्राणों से प्यारे हो ।
नित्त माला जपूँ तेरी,
नहीं दिल से भुला देना,
गुरुदेव दया करके,
मुझको अपना लेना ॥

पापी हूँ या कपटी हूँ,
जैसा भी हूँ तेरा हूँ,
घर बार छोड़ कर,
मैं जीवन से खेला हूँ ।
दुःख का मार हूँ मैं,
मेरा दुखड़ा मिटा देना,
गुरुदेव दया करके,
मुझको अपना लेना ॥

मैं सब का सेवक हूँ,
तेरे चरणों का चेरा हूँ,
नहीं नाथ भुलाना मुझे,
इसे जग में अकेला हूँ ।
तेरे दर का भिखारी हूँ,
मेरे दोष मिटा देना,
गुरुदेव दया करके,
मुझको अपना लेना ॥

इन चरनन की पाऊं सेवा,
जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा ।
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हमारे हैं श्री गुरुदेव, हमें किस बात की चिंता - भजन (Hamare Hain Shri Gurudev Humen Kis Bat Ki Chinta)
हमारे हैं श्री गुरुदेव,
हमें किस बात की चिंता,
हमारे साथ हैं गुरुदेव,
हमें किस बात की चिंता ।चरण में रख दिया जब माथ,
हमें किस बात की चिंता ॥
मेरे स्वामी को रहती है,
मेरी हर बात की चिंता ।
मेरे बाबा को रहती है,
मेरी हर बात की चिंता ॥

किया करते हो तुम दिन रात,
क्यूँ बिन बात की चिंता ।
रहे हर स्वांस में भगवन,
तेरे इक नाम की चिंता ॥

हुई इस दास पर कृपा,
बनाया दास प्रभु अपना ।
उन्ही के हाथों में जब हाथ,
हमे किस बात की चिंता ॥

हमारे हैं श्री गुरुदेव,
हमें किस बात की चिंता,
हमारे साथ हैं गुरुदेव,
हमें किस बात की चिंता ।

गुरुदेव तुम्हारी जय होवे ।
मेरे बाबा तुम्हारी जय होवे ॥
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दर्शन देता जाइजो जी - गुरु भजन (Darshan Deta Jaijo Ji Satguru Milata Jaiyo Ji)
दर्शन देता जाइजो जी,
सतगुरु मिलता जाइजो जी ।
म्हारे पिवरिया री बातां थोड़ी म्हने,
केता जाइजो जी ॥
सोने जेडी पीळी पड़ गई,
दुनिया बतावे रोग ।
रोग दोग म्हारे काई नी लागे,
गुरु मिलण रो जोग ॥

म्हारे भाभे म्हने बींद बतायो
पकड़ बताई बाँह ।
कांई कहो में कांई न समझू,
जिव भजन रे माय ॥

म्हारे देश रा लोग भला है,
पेहरे कंठी माला ।
म्हारा लागे वे भाई-भतीजा,
राणाजी रा साला ॥

सासरियो संसार छोडियो,
पीव ही लागे प्यारो ।
बाई मीरा ने गिरधर मिलिया,
चरण कमल लिपटायो ॥
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हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु करुणा कीजिये - भजन (He Mere Gurudev Karuna Sindhu Karuna Keejiye)
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
सत् गुरुदेव श्रद्धा सुमन अर्पण:
मेरे गुरुदेव चरणों पर , सुमन श्रद्धा के अर्पित हैं ।
तेरी ही देन है जो है , तेरे चरणों पे अर्पित है ॥

न प्रीति है प्रतीति है , नहीं पूजन की शक्ति है ।
मेरा यह मन मेरा यह तन , मेरा जीवन समर्पित है ॥

तेरी इच्छाएँ हों मेरी मेरे सब कर्म हों तेरे ।
बना ले यंत्र अब मुझको मेरा कण कण समर्पित है ॥

तुम्ही हो भाव में मेरे विचारों में पुकारों में ।
तेरे चरणों पे हे गुरुवर मेरा सर्वस्व अर्पित है ॥

गुरु याचना:
हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु करुणा कीजिये ।
हूँ अधम आधीन अशरण, अब शरण में लीजिये ॥

खा रहा गोते हूँ मैं भवसिन्धु के मझधार में ।
आसरा है दूसरा कोई न अब संसार में ॥
मुझमें है जप तप न साधन और नहीं कुछ ज्ञान है ।
निर्लज्ता है एक बाकी और बस अभिमान है ॥
पाप बोझे से लदी नैया भँवर में जा रही ।
नाथ दौड़ो, अब बचाओ जल्द डूबी जा रही ॥
॥ हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु ...॥

आप भी यदि छोड़ देंगे फिर कहाँ जाऊँगा मैं ।
जन्म-दुःख से नाव कैसे पार कर पाऊँगा मैं ॥
सब जगह "मंजुल" भटक कर, ली शरण प्रभु आपकी ।
पार करना या न करना, दोनों मर्जी आपकी ॥
॥ हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु ...॥

आप ही माता पिता प्रभु आप ही भगवान हो ।
सर्व सुख दाता सखा भ्राता हो सद्गुरु प्राण हो ॥
प्रभु आपके उपकार का हम ऋण चुका सकते नहीं ।
बिनु कृपा के शांति सुख का सार पा सकते नहीं ॥
॥ हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु ...॥

दीजिए वह भक्ति हमको सद्गुणी संसार में ।
मन हो मंजिल धर्म में अरू तन लगे उपकार में ॥

हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु करुणा कीजिये।
हूँ अधम आधीन अशरण अब शरण में लीजिये ॥
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प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी - भजन (Mere Prabhuji Sangati Sharan Tihari)
प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।
जग-जीवन राम मुरारी॥
गली-गली को जल बहि आयो,
सुरसरि जाय समायो।
संगति के परताप महातम,
नाम गंगोदक पायो॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥

स्वाति बूँद बरसे फनि ऊपर,
सोई विष होइ जाई।
ओही बूँद कै मोती निपजै,
संगति की अधिकाई॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥

तुम चंदन हम रेंड बापुरे,
निकट तुम्हारे आसा।
संगति के परताप महातम,
आवै बास सुबासा॥
॥ प्रभु जी तुम संगति...॥

जाति भी ओछी, करम भी ओछा,
ओछा कसब हमारा।
नीचे से प्रभु ऊँच कियो है,
कहि 'रैदास चमारा॥

प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।
जग-जीवन राम मुरारी॥
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नटखट नटवर नागर कृष्णा: भजन (Natkhat Natvar Nagar Krishna)
नटखट नटवर नागर कृष्णा,
मनमोहन मुरलीधर कृष्णा ॥
सपनों के आँगन में अपने,
देखा मैंने अक्सर कृष्णा ॥

धर्म कर्म से कभी न चूको,
बोल गये परमेश्वर कृष्णा ॥

लाज बचाने को भक्तों की,
दास बने कभी चाकर कृष्णा ॥

दिल से कभी बुला कर देखो,
घर आयेगा चल कर कृष्णा ॥

गीता के पन्ने पन्ने पर,
बोले अक्षर अक्षर कृष्णा ॥
BhaktiBharat Lyrics

शान्त गुरू के ज्ञान के सदके,
पाया मन के भीतर कृष्णा ॥
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गुरु बिन घोर अँधेरा संतो: भजन (Guru Bina Ghor Andhera Re Santo)
गुरु बिन घोर अँधेरा संतो,
गुरु बिन घोर अँधेरा जी ।
बिना दीपक मंदरियो सुनो,
अब नहीं वास्तु का वेरा हो जी ॥
जब तक कन्या रेवे कवारी,
नहीं पुरुष का वेरा जी ।
आठो पोहर आलस में खेले,
अब खेले खेल घनेरा हो जी ॥

मिर्गे री नाभि बसे किस्तूरी,
नहीं मिर्गे को वेरा जी ।
रनी वनी में फिरे भटकतो,
अब सूंघे घास घणेरा हो जी ॥

जब तक आग रेवे पत्थर में,
नहीं पत्थर को वेरा जी ।
चकमक छोटा लागे शबद री,
अब फेके आग चोपेरा हो जी ॥

रामानंद मिलिया गुरु पूरा,
दिया शबद तत्सारा जी ।
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
अब मिट गया भरम अँधेरा हो जी ॥
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गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म - भजन (Guru Meri Puja Guru Mera Parbrahma)
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंतगुरु मेरा देव अलख अभेव
सरब पूज्य, चरण गुरु सेवू
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु बिन अवर नहीं मैं थाओ
अन दिन जपो, गुर गुर नाओ
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु मेरा ग्यान, गुरु रिदे धयान
गुरु गोपाल पुरख भगवान्
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु की सरन रहूँ कर जोर
गुरु बिना मैं नाही होर
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु बोहित तारे भव पार
गुरु सेवा ते यम छुटकार
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

अन्धकार में गुरु मन्त्र उजारा
गुरु कै संग सगल निस्तारा
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु पूरा पाईये वडभागी
गुरु की सेवा दुःख ना लागी
॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥

गुरु का सबद ना मेटे कोई
गुरु नानक नानक हर सोए

गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
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मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा: भजन (Man Mera Mandir Shiv Meri Pooja)
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
सत्य है ईश्वर,
शिव है जीवन,
सुन्दर यह संसार है ।
तीनो लोक हैं तुझमे,
तेरी माया अपरम्पार है ॥
ॐ नमः शिवाय नमो,
ॐ नमः शिवाय नमो
मन मेरा मंदिर,
शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा,
नहीं कोई दूजा ।
बोल सत्यम शिवम्,
बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा,
के गुण गए जा ॥

पार्वती जब सीता बन कर,
जय श्री राम के सन्मुख आयी ।
राम ने उनको माता कह कर,
शिव शंकर की महिमा गायी ।
शिव भक्ति में सब कुछ सुझा,
शिव से बढ़कर नहीं कोई दूजा ।
॥ बोल सत्यम शिवम्...॥

तेरी जटा से निकली गंगा,
और गंगा ने भीष्म दिया है ।
तेरे भक्तो की शक्ति ने,
सारे जगत को जीत लिया है ।
तुझको सब देवों ने पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा।
॥ बोल सत्यम शिवम्...॥

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा ।
बोल सत्यम शिवम्, बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गए जा ॥


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